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रक्षाबंधन का त्यौहार Raksha Bandhan Festival in Hindi

Raksha Bandhan Festival in Hindi :- रक्षाबंधन का त्यौहार हिन्दुओ का बहुत बड़ा त्यौहार माना जाता है रक्षाबंधन दो शब्दों से मिलकर बना है पहला रक्षा और दूसरा  बंधन इन दोनों का मतलब ऐसा बंधन जो रक्षा प्रधान करता है यह त्यौहार भाई बहिनो के प्यार को दर्शाता   है रक्षाबंधन हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इसे आमतौर पर भाई-बहनों का पर्व मानते हैं लेकिन अलग-अलग स्थानों एवं लोक परम्परा के अनुसार अलग-अलग रूप में रक्षाबंधन का पर्व मानते हैं ।

रक्षाबंधन मनाने की विधि

रक्षाबंधन के दिन सुबह भाई-बहन स्नान करके भगवान की पूजा करते हैं। बहिन एक थाली पर रोली अक्षत कुंमकुंम एवं रंग-बिरंगी राखियों को रखकर उसकी पूजा करती हैं फिर अपने भाई को राखी बांधती हैं। साथ ही  मिठाई से भाई का मुंह मीठा कराती हैं। राखी बंधवाने के बाद भाई बहन को रक्षा का आशीर्वाद एवं उपहार व धन देता है। बहनें राखी बांधते समय भाई की लम्बी उम्र एवं सुख तथा उन्नति की कामना करती है ।

रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है

रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है इसके पीछे बहुत सारी कहानियां है वैसे तो ये त्यौहार हर भाई को अपने बहिन के प्रति कर्तब्य को दर्शाता है एक बार जब भगवान कृष्ण की उंगली कट गई थी तब द्रौपदी ने अपनी साड़ी का आंचल फाड़कर कृष्ण की उंगली पर बांध दिया। तब भगवान कृष्ण ने हर समय उसकी रक्षा का बचन दिया था ।

राखी क्या है

राखी एक पवित्र धागा है क्योंकि यह आपस में प्यार और विस्वास को धिढ़ता से बांधता है प्राचीन कल से इस त्यौहार को उसी तरिके से और परम्परा से मनाया जाता है जैसे जैसे लोगो की जीवन शैली बदल रही है वैसे ही इस पवित्रः त्यौहार को मानाने की परम्परा बदलती जा रही है ।

भारत के धर्मों में रक्षाबंधन कैसे मनाया जाता है

हिन्दू धर्म में – यह त्यौहार हिन्दू धर्म में काफी हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है इसके अलावा इसे नेपाल पाकिस्तान मारिसस में भी मनाया जाता है

सिख धर्म में – सिख धर्म में भी इसे भाई और बहिन बिच मनाया जाता है वही इसे राखाडी कहा जाता है

जैन धर्म में – जैन धर्म में जैन पंडित भक्तो को पवित धागा देते है

रक्षाबंधन का इतिहास

जैसे की आपको पता ही होगा कि हर त्यौहार का कोई न कोई इतिहास होता है रक्षाबंधन मानाने के भी कही कारण या कथाये है जहा से ये शुरू हुआ था तो आइये जानते है इसके कुछ पौराणिक कथाये

इन्द्र की कहानी – पुराणों के अनुसार जब देवताओं और असुरों के बीच युद्ध हुआ था तो देवता हारने लगे थे यह इन्द्र की पत्नी से देखा नहीं गया उसने भगवान विष्णो से देवताओ की विजय का उपाय पूछा तो उन्होंने एक रेशम का धागा दिया और है इसे अपने पति की कलाई पर बाँध दो  इंद्राणी ने वैसे ही किया और देवता इस लड़ाई में धागे की मन्त्र शक्ति से ही विजयी हुए थे ।

कृष्ण और द्रौपदी की कहानी – जब श्रीकृष्ण ने शिशुपाल का वध किया था उस समय श्रीकृष्ण की उंगली कट गई थी तब द्रौपदी ने अपनी साड़ी का आंचल फाड़कर कृष्ण की उंगली पर बंधा था । द्रौपदी के इस कार्य से श्रीकृष्ण काफी प्रशंन हुए और द्रौपदी के साथ भाई बहिन का रिस्ता निभाया और हमेशा द्रौपदी की रक्षा करने का  वचन दिया। द्रौपदी के चिरहरण के समय श्रीकृष्ण ने इसी वचन को निभाया।

रानी कर्णावती और हुमायूं की कहानी – मेवाड़ की रानी कर्मावती को जब सुचना मिली की  बहादुरशाह  मेवाड़ पर हमला करने वाला है रानी लड़ऩे में असमर्थ थी तो उसने अपने राज्य की रक्षा के लिए मुगल बादशाह हुमायूँ को राखी भेज कर रक्षा की याचना की। हुमायूं ने राजपूत रानी को बहन मानकर राखी की लाज रखी और उनके राज्य को शत्रु से बचाया ।

वामन भगवान की कहानी – जब राजा बलि ने 100 यज्ञ पूर्ण कर स्वर्ग का राज्य छीनने का प्रयत्न किया तो इन्द्र आदि देवताओं ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की। तब भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर बलि से भिक्षा माँगने पहुँचे। और बलि से तीन पग भूमि दान मांगी। भगवान ने तीन पग में सारा आकाश पाताल और धरती नापकर राजा बलि को रसातल में भेज दिया। जब बलि रसातल पहुंच गया तो उसने वामन भगवान का पैर पकड़ लिया अपने पति के पैर छुड़ाने के लिए लक्ष्मी जी ने बलि को अपना भाई बनाकर उसे राखी बंधी थी और कहा था कि आज से तुम्हे भी पूजा जायेगा इसी कारण बलेव नामक त्यौहार मनाया जाता है ।

रक्षाबंधन की शायरी

चंदन का टीका रेशम का धागा;
सावन की सुगंध बारिश की फुहार;
भाई की उम्मीद बहना का प्यार;
मुबारक हो आपको रक्षा-बंधन का त्योहार।

One Response
  1. Pankaj May 18, 2020 / Reply

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