Menu

वंदना चौधरी का जीवन परिचय DM Vandana Choudhary Biography in Hindi

DM Vandana Choudhary Biography in Hindi :- दोस्तों आपने सुना ही होगा अगर दिल मे कुछ करने चाह है तो वो पूरी हो जाती है बस आपको मेहनत करने की जरुरत होती है आज की कहानी भी कुछ ऐसी ही है कैसे एक लड़की गुरुकुल के कठोर अनुशासन में रही और बाहर की दुनिया कभी नहीं देखी बस एक ही सपना था- आईएएस अफसर बनना है ।

वंदना जी ने अपने 24 साल की उम्र में पहली ही कोशिश में अपना सपना साकार कर दिखाया । वह हिंदी माध्यम से पहला स्थान पाने वाली लड़की थी ।

वंदना कभी भी अपने घर से बाहर नहीं गईं वह एक तपस्वी साधु की तरह अपने  कमरे में बंद होकर सिर्फ और सिर्फ पढ़ती रहीं उसको अपने घर का रास्ता और मुहल्ले की गलियां भी ठीक से मालूम नहीं थी वह सिर्फ अर्जुन की तरह अपनी मंजिल देखती थी ।

वंदना ने अपने कमरे में कभी कूलर नहीं लगाया उसका मानना था कि ठंडक और आराम में नींद आती है वह पसीने में ही पढ़ती रहती ताकि नींद न आए। एक साल तक उसके घर वालो को उसके होने का आभास नहीं था वो किसी को भी डिस्टर्ब करने की इजाजत नहीं देती थी बस सिविल सेवा ही उसकी दुनिया थी ।

जन्म और स्कूली शिक्षा

वंदना चौधरी का जन्म 4 अप्रैल, 1989 को हरियाणा के नसरुल्लागढ़ गांव के एक बेहद पारंपरिक परिवार में हुआ । उनके पिता का नाम महिपाल सिंह चौहान और माता का नाम मिथिलेश है । वन्दना के परिवार में लड़कियों को पढ़ाने का चलन नहीं था वंदना की शुरुआती पढ़ाई गांव के सरकारी स्कूल में हुई थी ।

वंदना शुरू से ही मेधावी थी जबकि उसके परिवार में लड़कियों को ज्यादा नहीं पढ़ाया जाता था वह अपने पिता जी को बोलती रहती थी कि मुझे कब भेजोगे पढऩे ।

छठी क्लास के बाद वंदना मुरादाबाद के पास लड़कियों के एक गुरुकुल में पढऩे चली गई । वहां के नियम बड़े कठोर थे कड़े अनुशासन में रहना पड़ता था साथ ही खुद  अपने कपड़े धोना, कमरे की सफाई करना और यहां तक कि महीने में दो बार खाना बनाने में भी मदद करनी पड़ती थी ।

बारहवीं तक गुरुकुल में पढ़ने के बाद वंदना ने घर पर रहकर ही लॉ की पढ़ाई की परन्तु कभी कॉलेज नहीं गई परीक्षा देने के लिए भी पिताजी साथ लेकर जाते थे ।

सिविल सर्विसेज की तैयारी

दसवीं के बाद ही वंदना ने अपनी मंजिल तय कर ली थी वह कॉम्प्टीटिव मैग्जीन में टॉपर्स के इंटरव्यू पढ़तीं और उसकी कटिंग अपने पास रखतीं । किताबों की लिस्ट बनातीं तो  कभी भाई से कहकर तो कभी ऑनलाइन किताबें मंगवाती ।

वन्दना रोज तकरीबन 12-14 घंटे पढ़ाई करती थी अगर उसको नींद आने लगती तो वो चलते-चलते ही पढ़ती थी

वंदना ने एक साल में बिना किसी कोचिंग, बिना गाइडेंस और बिना आइएएस की तैयारी कर रहा कोई दोस्त के बिना ही सिविल सर्विसेज की तैयारी की और 2012 में आठवां स्थान हासिल किया ।

आजकल वंदना चौधरी  रुद्रप्रयाग के डीएम के पद पर तैनात है इससे पहले वो पिथौरागढ़ की मुख्य विकास अधिकारी थीं

आपको वंदना चौधरी की जीवनी कैसे लगी कमेंट में जरूर अपने विचार लिखे और साथ ही इस पोस्ट को शेयर करें ।

One Response
  1. Reena May 25, 2020 / Reply

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *