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भारत का इतिहास Indian History in Hindi

Indian History in Hindi :-भारत का इतिहास बहुत पुराना इतिहास है मॉर्डन जेनेटिक्स की आम सहमति के मुताबिक भारत में सबसे पहले मनुष्य अफ्रीका से 73,000 से 55,000 साल पहले आए. बहरहाल, एशिया में सबसे पुराने मानव के अवशेष 30,000 साल पहले के ही मिलते हैं. तब उनका काम केवल खाना ढूंढना था, बाद के सालों में उन्होंने खेती करना सीखी और देहाती जीवन की शुरुआत की. करीब 4500 ईशा पूर्व, लोग सुलझा हुआ जीवन विस्तृत स्तर पर जीने लगे थे और इसी दौरान जन्म हुआ सिंधु घाटी सभ्यता का. यह दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यता में से एक है.

जिसे प्राचीन मिस्र और मेसोपोटामिया के समकालीन माना जाता है. यह सभ्यता 2500 ईशा पूर्व से 1900 ईशा पूर्व तक, आज के पाकिस्तान में फली फूली. यहां का शहरी नियोजन, पकी हुए ईंट के घर, विस्तृत जल निकासी और पानी की आपूर्ति कमाल की थी. दूसरी सहस्राब्दी ईशा पूर्व की शुरुआत में इस इलाके में सूखा पड़ा जिसकी वजह से सिंधु घाटी सभ्यता के लोग शहरों से भागकर दूर-दराज गांवों में जा बसे और इस तरह से सबसे उन्नत सभ्यता का खात्मा हो गया.

वैदिक काल:

इसी समय के आस-पास ही इंडो-आर्यन ने पंजाब में कदम रखा और आने वाले सालों में उत्तर भारत के पश्चिमी इलाकों में बस गए. जिसके परिणामस्वरूप वैदिक काल की शुरुआत हुई और वेदों का संकलन हुआ. इस तरह से हिंदु धर्म का उदय हुआ. इस काल में वैदिक संस्कृति भारत के उत्तर-पश्चिम हिस्से तक ही सीमित थी जबकि देश के दूसरे हिस्सों के लोगों की संस्कृति दूसरी थी.

इस काल के पहले वैदिक संस्कृति लिखित रूप में मौजूद नहीं थी बल्कि जुबानी तौर पर ही मौजूद थी. जिसको इस काल में पहली बार संस्कृत भाषा में लिखा गया. वेद भारत में मौजूद सबसे पुराने ग्रंथ हैं. अथर्व वेद के संकलन के समय तक गाय और पीपल के पेड़ को पवित्र माना जाने लगा था.

कई इतिहासकारों का मानना है कि इसी काल में उत्तर-पश्चिम से इंडो-आर्यन बड़ी संख्या में भारत आए. इस समय आर्यन समाज का बड़ा हिस्सा देहाती लोगों और जनजातियों का समूह था, ये हड़प्पा सभ्यता से अलग समाज था.

इसी काल के अंत में वर्ण प्रणाली बनी जिसमें लोगों को चार वर्णों ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र में उनके रोजगार के हिसाब से बांटा गया. करीब 600 ईशा पूर्व जब देहाती और घुमक्कड़ आर्यन पंजाब से आगे गंगा के मैदानों में जाकर बसने लगे, तो उन्होंने खेती के लिए जंगल काटे और इस तरह से दूसरी बार शहरीकरण हुआ. छोटे जनपदों को मिलाकर महाजनपद बनाए गए. इस दौर के सबसे बड़े राज्य कुरु, पांचाल, कोसाला और विदेहा थे.

कुरु राज्य वैदिक काल का पहला राज्य स्तर का समाज था. कुरु राज्य ने वैदिक भजनों का संग्रह किया और उसी के अनुसार राज्य चलाने के नियम बनाए. कुरु राज्य के दो सबसे जाने माने नाम थे राजा परीक्षित और उनके उत्तराधिकारी जन्मेजया. यह राज्य लौह युग में एक बड़ी ताकत के रूप में उभरा. जब कुरु राज्य का पतन हुआ तो वैदिक संस्कृति का केंद्र पूर्व में उनका पड़ोसी का राज्य पांचाल बन गया.

वैदिक काल के अंत में विदेहा राज्य वैदिक संस्कृति का नया केंद्र बना, यह पूर्व में और भी दूर था (आज के बिहार और नेपाल में). यह राजा जनक के अधीन खूब फला-फूला, उनके कोर्ट ने ब्राह्मणों और दार्शनिकों जैसे कि याज्ञवल्क्य, अरुणी और गार्गी वाचक्नवी को संरक्षण दिया. इसी काल के अंत में बड़े राज्य बनना शुरू हुए जिनका नाम महाजनपद पड़ा.  

इस काल में 16 बड़े महाजनपद और कुलीन गणराज्यों का उदय हुआ. ये राज्य गंधार से लेकर पूर्व में बंगाल तक फैले हुए थे. प्राचीन बौद्ध ग्रंथों में इन 16 राज्यों को जिक्र मिलता है. सिंधु घाटी सभ्यता के बाद इस काल में दूसरी बार शहरीकरण का दौर शुरू हुआ. ये 16 राज्य बाद में चार मुख्य राज्यों में जुड़ गए. गौतम बुद्ध के समय चार राज्य वत्सा, अवंती, कोसाला और मगध थे. गौतम बुद्ध की जिंदगी इन चार राज्यों से जुड़ी हुई थी. 

हरयानका और नंद साम्राज्य:

शहरीकरण के इसी दौर में एक राज्य शक्ति का बड़ा प्रतीक बनकर उभरा, नाम था, मगध. इसी दौरान तपस्वियों का आंदोलन चला जिसमें जैन और बौद्ध शामिल थे. उन्होंने ब्राह्मणों के बढ़ते प्रभाव और उनके द्वारा किए गए कर्मकांड की प्रधानता का विरोध किया और इस तरह से नए धार्मिक कॉन्सेप्ट को जन्म दिया.

मगध पर हरयानका वंश ने 200 सालों तक राज्य किया. इस वंश के राजा बिंबसार ने अपने राज्य को चारों दिशाओं में फैलाया. उन्होंने अंग राज्य (आज के बिहार और पश्चिम बंगाल) को जीता. राजा बिंबसार की हत्या उनके बेटे अजातशत्रु ने की और सिंहासन हथिया लिया. जिसने अपने पिता की ही तरह अपने राज्य को फैलाना जारी रखा. उसके समय में ही गौतम बुद्ध ने अपनी ज्यादातर जिंदगी मगध राज्य में गुजारी. उन्होंने तालीम बोध गया में, पहला उपदेश सारनाथ में और पहली बुद्ध काउंसिल का आयोजन राजगृह में किया. हरयानका वंश को शिशुनाग वंश ने हराया और राज्य पर कब्जा कर लिया. अंतिम शिशुनाग शासक को मारकर महापद्म नंद 345 ईशा पूर्व में, पहला नंद शासक बना.

नंद साम्राज्य अपने शिखर पर बंगाल से पंजाब तक और दक्षिण में विंध्य तक फैला हुआ था. नंद वंश को उसकी अकूत दौलत के लिए जाना जाता था. उनके पास 2 लाख पैदल सैनिक, 20 हजार घुड़सवार, 2 हजार युद्ध रथ और 3000 जंगी हाथी थे. बहरहाल, नंद साम्राज्य की फौज को अलेक्जेंडर द ग्रेट से लड़ने का मौका नहीं मिला क्योंकि पौरुष से लड़ने के बाद सिकंदर की सेनाएं पंजाब और सिंध से ही पश्चिम में वापस लौट गईं.

मौर्य काल:

3 से 4 ईशा पूर्व ज्यादातर भारतीय उपमहाद्वीप मौर्यों के अधीन था. अपने शिखर पर मौर्य साम्राज्य उत्तर में हिमालय से लेकर पूर्व में असम, पश्चिम में पाकिस्तान के पार, हिंदु कुश (जो अब अफगानिस्तान में है), तक फैला था. साम्राज्य की शुरुआत चंद्रगुप्त मौर्य ने चाणक्य की मदद से नंद वंश को खत्म करके की थी. चंद्रगुप्त ने तेजी से अपनी ताकतें बढ़ाईं और अपने राज्य को मध्य और पश्चिम भारत तक फैला दिया. 317 ईशा पूर्व तक चंद्रगुप्त का राज्य पूरी तरह से उत्तर-पश्चिम भारत पर कब्जा जमा चुका था. इसी दौरान चंद्रगुप्त ने सैल्युकस प्रथम को हराया और पश्चिम में अपने राज्य की सीमाएं बढ़ाने में कामयाबी हासिल की. चंद्रगुप्त के बेटे बिंदुसार ने 297 ईशा पूर्व गद्दी संभाली. जब 272 ईशा पूर्व में उनकी मृत्यु हुई तब तक भारतीय उपमहाद्वीप का ज्यादातर हिस्सा मौर्य साम्राज्य के अंतर्गत आ गया था. लेकिन अभी भी कलिंग नाम का राज्य मौर्यों के अधीन नहीं था जिसकी वजह से उन्हें दक्षिण से व्यापार करने में दिक्कत होती थी.

बिंदुसार के बाद गद्दी पर अशोक बैठे, जिनका शासन 37 साल तक चला. उनकी मृत्यु 232 ईशा पूर्व हुई. 260 ईशा पूर्व में उनकी सेनाओं ने कलिंग पर हमला बोल दिया, जिसमें असंख्य लोग मारे गए. जिसको देखकर अशोक द्रवित हो उठे और उन्होंने हिंसा का त्याग कर दिया. इसके साथ ही उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया. उनकी मृत्यु के बाद ही मौर्य साम्राज्य का पतन शुरू हो गया और अंतिम मौर्य शासक वृहदृथ की हत्या कर पुष्यमित्र शुंग ने शुंग वंश की नींव डाली. चंद्रगुप्त मौर्य और उनके उत्तराधिकारियों के दौरान आंतरिक और बाह्य दोनों तरह के व्यापार, खेती और आर्थिक गतिविधियां खूब फली फूली. मौर्यों ने ग्रांड ट्रंक रोड बनाया, यह एशिया की सबसे पुरानी और लंबी सड़क है, जो भारतीय उपमहाद्वीप को मध्य एशिया से जोड़ती है.

चंद्रगुप्त मौर्य ने जैन धर्म को स्वीकार कर लिया जिससे सामाजिक, धार्मिक नवीनीकरण के साथ सुधार को बल मिला. साथ ही अशोक के बौद्ध धर्म स्वीकार करने से देश में सामाजिक और राजनीतिक शांति के साथ अहिंसा को बल मिला. अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रसार में कई बौद्ध मिशनरी श्रीलंका, दक्षिण पूर्व एशिया, पश्चिम एशिया, उत्तरी अफ्रीका और मेडिटेरियन यूरोप में भेजीं. अर्थशास्त्र और अशोक के शिलालेख मौर्य काल के सबसे प्रमुख लिखित प्रमाण हैं. 3 ईशा पूर्व से ही उत्तर में प्राकृति और पालि और दक्षिण में संगम लिटरेचर फलने फूलने लगा. 3 ईशा पूर्व में ही दक्षिण भारत में वुट्ज स्टील की खोज हुई जिसे विदेशों में निर्यात किया जाने लगा.

शास्त्रीय काल:

शास्त्रीय काल के दौरान भारत के ज्यादातर हिस्सों पर कई राजवंशों का 1500 सालों तक राज रहा, जिनमें गुप्त साम्राज्य सबसे शक्तिशाली था. इस काल को हिंदू धार्मिक और बौद्धिक पुनरुत्थान के लिए जाना जाता है. साथ ही इसे भारत का स्वर्णकाल भी कहते हैं. शास्त्रीय काल की शुरुआत मौर्य साम्राज्य के अंत और शुंग और सातवाहन वंश के उदय के साथ होती है. इस काल के दौरान भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे बड़ी थी, भारत की दौलत उस दौरान दुनिया की दौलत का एक तिहाई हिस्सा थी, ये अमीरी 1 ईस्वी से लेकर 1000 ईस्वी तक रही. साथ ही 3 ईशा पूर्व से 3 ईस्वी तक दक्षिण भारत में संगम लिटरेचर का खूब बोलबाला रहा.

इस काल के दौरान भारतीय सभ्यता, प्रशासन, संस्कृति और धर्म (हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म) को पूरे एशिया में ख्याति मिली. साथ ही दक्षिण के राज्यों ने मध्य-पूर्व एशिया और मेडिटेरेनियन के देशों से समुद्र के रास्ते व्यापार करना भी इसी दौरान शुरू किया.

सातवीं से 11वीं सदी के बीच सबसे मुख्य घटना रही त्रिपक्षीय संघर्ष. जिसका केंद्र कन्नौज था. यह संघर्ष पाल, राष्ट्रकूट और गुजरात के प्रतिहार साम्राज्य के बीच करीब दो शताब्दी तक चला. पांचवीं शताब्दी के मध्य से दक्षिण भारत में कई सारी राजशाही शक्तियों का उदय हुआ.

इनमें प्रमुख थे चालुक्य, चोल, पल्लव, चेर, पांड्यन और पश्चिमी चालुक्य साम्राज्य. चोल साम्राज्य ने दक्षिण भारत में विजय प्राप्त की और सफलतापूर्वक 11वीं शताब्दी में श्रीलंका, मालदीव और बंगाल को भी अपने कब्जे में ले लिया.

मध्यकालीन युग की शुरुआत में भारतीय गणितज्ञ जिनमें हिंदू अंक भी शामिल थे, उन्होंने अरब में गणित और खगोलशास्त्र के विकास में योगदान दिया. आठवीं शताब्दी तक इस्लामिक आक्रमणकारी अफगानिस्तान और सिंध तक ही आते थे, इसके बाद के सालों में ही महमूद गजनी ने भारत पर हमला किया था.

दिल्ली सल्तनत का उदय 1206 ईस्वी में हुआ. इसकी शुरुआत कुतबुद्दीन ऐबक ने की और साथ ही दास वंश की नींव डाली. दिल्ली सल्तनत पर पांच वंशों ने राज्य किया और यह सल्तनत 14वीं शताब्दी में उत्तर भारत के ज्यादातर हिस्सों में राज्य करती थी. लेकिन 14वीं सदी के उत्तरार्ध में इसका पतन शुरू हो गया.

इसके साथ ही उदय हुआ दक्कन सल्तनत का. अमीर बंगाल सल्तनत भी दुनिया की एक बड़ी ताकत के रूप में उभरी और इसने करीब 300 सालों तक राज्य किया. इस काल खंड के दौरान कई सारे शक्तिशाली हिंदू राज्यों का भी उदय हुआ जिनमें विजय नगर और राजपूत राज्य मेवाड़ प्रमुख थे. 

मुगल काल:

15वीं शताब्दी में सिख धर्म का उदय हुआ. प्रारंभिक आधुनिक काल की शुरुआत 16वीं शताब्दी में हुई. इस दौरान मुगल साम्राज्य ने भारतीय उपमहाद्वीप के ज्यादातर हिस्से को जीत लिया. इसकी शुरुआत 1526 से हुई, जब खैबर पास के रास्ते से आए बाबर ने दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोदी को हराकर दिल्ली को अपने नाम कर लिया. बहरहाल, उसकी मृत्यु के बाद उसके बेटे हुमायुं को अफगान के योद्धा शेर शाह सूरी ने 1540 में हरा दिया, जिसके चलते हुमायुं को काबुल भागना पड़ा. शेर शाह की मौत के बाद उनके बेटे इस्लाम शाह सूरी और उसके हिंदू जनरल हेमू विक्रमादित्य ने कमान संभाली और 1556 तक शासन किया. इस दौरान पानीपत के दूसरे युद्ध में साल 1556 में अकबर ने हेमू को हरा दिया. सुप्रसिद्ध शासक अकबर जो बाबर का नाती था उसने हिंदू शासकों के साथ मित्रता करना शुरू किया. अकबर ने जैनों के पवित्र दिनों में जानवरों के मारने पर पाबंदी लगा दी. उसने गैर मुस्लिमों से जजिया कर लेना बंद कर दिया. अकबर ने स्थानीय राजकुमारियों से विवाह किए, स्थानीय राजाओं को साथ लिया और एक नए तरह के सभ्य समाज की स्थापना की.

अकबर ने राजपूत राजकुमारी मरियम-उज-जमानी से शादी की, उनका बेटा जहांगीर हुआ, जो आधा मुगल और आधा राजपूत था. ऐसे ही भविष्य के मुगल शासक हुए. 16वीं शताब्दी में मुगलों ने भारत के ज्यादातर हिस्से पर राज्य किया. शाहजहां का समय मुगल आर्टिटेक्चर का स्वर्ण काल था. उन्होंने कई बड़े स्मारक बनवाए. जिनमें सबसे प्रसिद्ध आगरा का ताजमहल, आगरा की मोती मस्जिद, दिल्ली का लाल किला, जामा मस्जिद और लाहौर किला शामिल हैं.

यह भारतीय उपमहाद्वीप का दूसरा सबसे बड़ा साम्राज्य था. इस दौरान उन्होंने चीन को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक ताकत का तमगा हासिल किया. इस दौरान यह साम्राज्य दुनिया की 24.4 फीसदी दौलत नियंत्रित करता था.  उन्होंने प्रोटो-औद्योगीकरण का संकेत दिया, दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और विनिर्माण शक्ति बने. उस दौरान मुगल साम्राज्य का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) दुनिया भर की कुल GDP के एक चौथाई हिस्से के बराबर था. इस तरह से यह पूरे यूरोप की अर्थव्यवस्था से बड़ी अर्थव्यवस्था थी. मुगलो का पतन 18वीं शताब्दी की शुरुआत से होना धीरे-धीरे शुरू हुआ. जिससे मराठा, सिखों, मैसूरों, निजाम, बंगाल के नवाब को भारत के बड़े हिस्से पर अधिपत्य जमाने का मौका मिल गया.

आधुनिक काल

ब्रिटिश काल:

18वीं सदी के मध्य से मध्य 19वीं शताब्दी तक भारत का बड़ा हिस्सा ईस्ट इंडिया कंपनी के अधीन रहा. यह एक अधिकार पत्र प्राप्त कंपनी थी जो ब्रिटिश सरकार की ओर से भारत का शासन चला रही थी. गौर करने वाली बात है कि इंग्लिश ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना 1600 ईस्वी में हुई थी. यह उन व्यापारियों की कंपनी थी जो पूर्व में व्यापार करना चाहते थे. उन्होंने 1611 में देश में पहली फैक्ट्री डाली थी, बाद में मुगल बादशाह जहांगीर से इजाजत मांगकर उन्होंने साल 1612 में अपनी दूसरी फैक्ट्री सूरत में डाली.  साल 1640 में विजयनगर के राजा से ऐसी ही इजाजत मांगकर उन्होंने अपनी एक और फैक्ट्री मद्रास में डाली. 

कंपनी ने रॉबर्ट क्लाइव के मार्गदर्शन में 1757 में प्लासी और 1764 में बक्सर का युद्ध जीता, इस तरह से देश में कंपनी की ताकत बहुत ज्यादा बढ़ गई. इस तरह 1773 तक कंपनी भारत के एक बड़े हिस्से पर शासन करने लगी. एंग्लो-मैसूर युद्ध (1766–99) और एंग्लो-मराठा युद्ध (1772–1818) में जीत के बाद कंपनी ने अपने पैर दक्षिण में सतलुज नदी तक पसार लिए. मराठाओं की हार के बाद, कंपनी ने देश में किसी का सिर नहीं उठने दिया.

कंपनी के शासन से लोग बहुत त्रस्त हो गए, जिसके फलस्वरूप 1857 की क्रांति हुई. जिसका असर उत्तर और मध्य भारत में खूब रहा. इसके तुरंत बाद ही देश में कंपनी के शासन का अंत हुआ और ब्रिटिश राज की शुरुआत हुई. औपनिवेशिक सरकार ने कोर्ट सिस्टम और कानूनी प्रक्रियाएं चालू की. इसके साथ ही इंडियन पीनल कोड बना. थॉमस बिबिंटन मैकोली ने साल 1835 में राज में स्कूली शिक्षा को अनिवार्य बना दिया था और इंग्लिश को शिक्षा का माध्यम बताया था. साल 1890 तक करीब 60,000 भारतीयों ने मैट्रिक पास किया. साल 1880 से 1920 के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था 1% की रफ्तार से बढ़ी और जनसंख्या भी 1% की रफ्तार से बढ़ी. बहरहाल, 1910 के बाद भारतीय प्राइवेट इंडस्ट्री भी फलने फूलने लगीं. भारत ने 19वीं सदी के अंत में अपना पहला मॉर्डन रेलवे सिस्टम बनाया जो दुनिया में चौथा सबसे बड़ा था. ब्रिटिश राज ने इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खूब खर्च किया जिनमें रेलवे के अतिरिक्त नहरें, सिचाई व्यवस्था, टेलिग्राफी, रोड और बंदरगाह शामिल थे.

साल 1905 में लॉर्ड कर्जन ने भारत के सबसे बड़े राज्य बंगाल को बांट दिया. इसमें एक हिस्सा था हिंदू बाहुल्य पश्चिमी हिस्सा और मुस्लिम बाहुल्य पूर्वी हिस्सा. ब्रिटिश का मकसद शासन को बेहतर तरीके से चलाना था लेकिन फूट डालों और शासन करो की अंग्रेजी नीति का बंगाल के लोगों ने कड़ा विरोध जताया. इसी के साथ उपनिवेश विरोधी आंदोलन की शुरुआत हुई. बंगाल को 1911 में फिर से एकीकृत कर दिया गया. प्रथम विश्व युद्ध के बाद, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने भारत की आजादी का आंदोलन छेड़ दिया. इसकी अगुआई महात्मा गांधी कर रहे थे, जिन्हें उनकी अहिंसा के लिए जाना जाता था. बाद में मुस्लिम लीग ने मुसलमानों के लिए अलग से देश की मांग की. ब्रिटिश भारतीय साम्राज्य का बंटवारा अगस्त 1947 में हुआ. इससे दो देश निकले भारत और पाकिस्तान. ये दोनों मौजूदा समय में प्रजातंत्र हैं.

भारतीय इतिहास के महत्वपूर्ण युद्ध

वैसे तो भारतीय इतिहास में बहुत सारे युद्ध हुए है परतु जो कुछ युद्ध ऐसे हुये है जिन्होंने भारतीय इतिहास को बदल कर रख दिया

कलिंग का युद्ध

कलिंग का युद्ध मौर्य साम्राज्य के शासक सम्राट अशोक और कलिंग देश के बीच होता था इस युद्ध में महा-नरसंहार हुआ सारी कलिंग सेना मारी गयी. इस युद्ध से सम्राट अशोक के ह्रदय-परिवर्तन हुआ और उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया और भविष्य में युद्ध ना करनी की कसम खाई.

तराइन का प्रथम युद्ध

तराइन का प्रथम युद्ध मोहम्मद गौरी और पृथ्वीराज चौहान के बीच हुआ. इस युद्ध में मोहम्मद गौरी पराजित हुआ और उलटे पैर भगा. इस युद्ध के बाद पुरे भारत ने पृथ्वीराज चौहान के वीरता की गाता गयी.

पानीपत का प्रथम युद्ध

पानीपत का प्रथम युद्ध बाबर और इब्राहिम लोदी के बीच हुआ था इस युद्ध में इब्राहिम लोदी की हार हुई थी और यही से बाबर ने मुग़ल साम्राज्य की नीव रखी थी इस युद्ध में बाबर ने 24 तोपों का इस्तेमाल करके इब्राहिम लोदी की सेना को हराया था.

पानीपत का द्वितीय युद्ध

पानीपत का द्वितीय युद्ध मुगल शासक अकबर और अफगान शासक के सेनापति हेमू के बीच हुआ था जिसमे अकबर की जीत हुई और अफगान शासन का अंत हुआ.

हल्दीघाटी का युद्ध

यह युद्ध अकबर और महाराणा प्रताप के बीच हुआ. यह मुगलो और राजपूतो के बीच हुआ भीषण युद्ध था जिसमे राजपतों का साथ वहा की भील जाती के लोगो ने दिया था इस युद्ध में  महाराणा प्रताप की हार हुई और वो अरावली की पहाड़ियों में चले गये.

प्लासी का युद्ध

यह युद्ध अंग्रेजों और सिराजुद्दौला के बीच हुआ था इस में सिराजुद्दौला की हार हुई और अंग्रेजी साम्राज्य की पकड़ मजबूत हुयी.

बक्सर का युद्ध

बक्सर का युद्ध अंग्रेजो और मीर कासिम के बीच हुआ था इस युद्ध में मीर कासिम की हार हुयी और भारतवर्ष में अंग्रेजी शक्ति को सर्बोच्च बना दिया.

भारतीय इतिहास के महत्वपूर्ण शासक

वैसे तो भारत इतिहास में बहुत सारे शासक हुए परन्तु कुछ ऐसे थे जिन्हे आजतक याद किया जाता है

चंद्रगुप्त मौर्य

चंद्रगुप्त मौर्य भारत के पहले ऐतिहासिक सम्राट  और मौर्य वंश के सस्थापक थे. उन्होंने 24 सालो तक शासन किया था

अकबर

अकबर मुगल बादशाह हुमायूं के पुत्र थे उन्हें सभी मुगल बादशाहो में सबसे महान माना जाता है उन्होंने हिन्दू तीर्थयात्रियों से कर वसूलने वाले कानून को समाप्त किया साथ ही दीन-ए-इलही की स्थापना की

अशोक

अशोक को चक्रवर्ती सम्राट के नाम से जाना जाता है जिन्होंने बौद धर्म का प्रचार प्रसार किया। उन्होंने ने कलिंग के समय युद्ध के महत्वा को समझा और जिंदगी में दुबारा युद्ध ना करने की सौगंद खाई.

शिवाजी भोसले

शिवाजी भोसले को मराठा साम्राज्य के संस्थापक और सबसे बड़ा राजा कहा जाता है उन्होंने भारतीय नौसेना का निर्माण किया। उन्हें गुरिल्ला युद्ध का जनक भी कहा जाता है.

पृथ्वीराज चौहान

पृथ्वीराज चौहान हिन्दू चौहान वंश का राजा था उसने तराइन की पहेली लड़ाई में मुहम्मद गोरी हराया था पृथ्वीराज चौहान को शब्द भेदी बाण चलाने में माहिर थे

महाराणा प्रताप

महाराणा प्रताप मेवाड़ के राजा थे उन्होंने स्वतंत्रता के लिये संघर्ष करना नहीं छोड़ा उन्होंने अपना जीवन चित्तोड़ के जंगलो में ब्यतीत किया परतु अकबर की गुलामी काबुल नहीं की

राणा सांगा

ये राजपुताना वंश के अंतिम बहादुर शासक थे उन्हें अपने देश के प्रति दृढ संकप के लिए याद किया जाता है

बिन्दुसार

बिन्दुसार चंद्रगुप्त मौर्य के पुत्र थे उनके 16 पत्नियां और 8 बेटे थे

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